साहित्यिक समाचार
अपनी तलाश में‘ गजल संग्रह का लोकार्पण
कंकरोली, राजसमन्द। प्रसिद्ध गजलकार शेख अब्दुल हमीद के नये गजल संग्रह अपनी तलाश में का लोकार्पण समारोह राजस्थान साहित्यकार परिषद कांकरोली द्वारा होटल स्वागत के सभा भवन में 7 मार्च रविवार को प्रातः दस बजे आयोजित हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात शाइर एवं साहित्यकार आबिद अदीब थे। विशिष्ट अतिथि के दायित्व का निर्वाह कवि एवं कथाकार माधव नागदा एवं लोकप्रिय गीतकार त्रिलोकी मोहन पुरोहित ने किया। समारोह के आरंभ में राधेश्याम सरावगी मसूदिया ने मंचासीन अतिथियों का माल्यार्पण तथा परिषद् के सदस्यों ने शाल ओढा कर सम्मानित किया। कार्यक्रम की शुरुआत जावेद शेख की गजल तथा वरिष्ठ साहित्यकार कमर मेवाडी के स्वागत उदबोधन से हुआ। मुख्य अतिथि आबिद अदीब साहब का यह कथन की शायर हमीद एक दर्दमन्द दिल रखते हैं और हर इन्सान के लिए दिल में मोहब्बत का ज*बा रखते हुए इन्सानियत की रविश पर आगे बढते हैं तभी तो शाइर की कलम से ऐसा लाजवाब अशआर प्रस्फुटित होता हैं- दिल किसी का दुखाया नहीं, गम किसी को दिया तो नहीं। मैंने माना की काँटा हूँ मैं, पर किसी के चुभा तो नहीं। विशिष्ट अतिथि माधव नागदा और त्रिलोकी मोहन पुरोहित का मानना था कि शैख अब्दुल हमीद ने जिन्दगी का सार तत्व निचौड कर रख दिया है। उनके अनुभवों की विविधता और अभिव्यक्ति की गहराई निस्सन्देह चौंकाने वाली है।
कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध कवि एवं कथाकार डॉ. नरेन्द्र निर्मल ने किया तथा आभार प्रदर्शन राजस्थान साहित्यकार परिषद् कांकरोली के अध्यक्ष कवि एवं डायरी लेखक नगेन्द्र कुमार मेहता ने ज्ञापित किया।
प्रस्तुति - कमर मेवाडी
रूपा सिंह को डॉ. सीताराम दीन स्मृति आलोचना सम्मान
प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, समालोचक और कबीर साहित्य के मर्मज्ञ डॉ. सीताराम दीनजी की स्मृति में दिया जानेवाला वर्ष 2020-21 का सम्मान सुप्रसिद्ध आलोचक, कथाकार तथा कवयित्री डॉ. रूपा सिंह को दिया जायेगा । तीन सदस्यीय जूरी ( हरिसुमन बिष्ट, श्रीप्रकाश मिश्र तथा जयप्रकाश मानस) ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि - डॉ. रूपा सिंह की रचनात्मक दृष्टि और सृष्टि दोनों ही - लक्षित-अलक्षित स्त्री-रचनाकारों के बहुवचनों के बीच भी अपनी पृथक आलोचनात्मक दिशा की ओर पाठकों को अभिप्रेरित करती है । वे समानता, मित्रत्व और स्वतंत्रता जैसे बुनियादी सरोकारों के प्रति जरूरी मानवीय प्रतिबद्धता से अनुप्राणित अपनी सृजनात्मकता को किसी आयातित पश्चिमी विचारों की कार्बन कॉपी की तरह नहीं, एक फैशनेबुल होड में भी नहीं - बल्कि भारतीय चिंतन पद्धतियों की अविरल, अर्जित, अविरल और सदा संभावित दक्षता का उत्खनन करते हुए, उसे भाषायी बहुलता के गौरव और सौंदर्य से विश्वसनीय तथा अनुकरणीय बनाती हैं ।
न्यास प्रमुख डॉ. मंगला रानी (पटना) ने बताया है कि उन्हें डॉ. सीताराम दीन - डॉ. उषा रानी सिंह स्मृति न्यास, पटना द्वारा सम्मान स्वरूप 5001/- की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, आदि प्रदान किए जाएँगे।
- मधुमती डेस्क
नहीं रहे शब्दशिल्पी नरेन्द्र कोहनी
अनेक अलंकरणों से अलंकृत हिंदी के यशस्वी साहित्यकार डॉ. नरेंद्र कोहली को क्रूर कोरोना ने हमसे सदा-सदा के लिए छीन लिया। वे कोरोना पॉजिटिव थे। उनकी हालत खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। कोहली की पहली कहानी 1960 में प्रकाशित हई थी। उनकी 92 पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी मृत्यु के समाचार के साथ ही साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई है।
राजस्थान की संस्कृति हमारा गौरव - डॉ. कल्ला
मधुमती के राजस्थान दिवस एवं फणीश्वरनाथ रेणु पर केन्द्रित विशेषांक का हुआ लोकार्पण
बीकानेर। कला, साहित्य तथा संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला ने राजस्थानी साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका मधुमती के मार्च अंक का विमोचन किया। यह अंक राजस्थान दिवस और प्रसिद्ध रचनाकार फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ पर केन्द्रित है। इस अवसर पर डॉ. कल्ला ने कहा कि अकादमी द्वारा पाठकों और लेखकों के लिए जल्दी ही मैसेजिंग सेवा प्रारंभ की जाएगी, इससे पाठकों तक पत्रिका पहुँचने की सूचना उन्हें एसएमएस के माध्यम से मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि कोरोना की प्रतिकूल परिस्थतियों में मधुमती ने पाठकों के बीच विशेष पहचान स्थापित की है तथा डिजिटल युगानुकूल में प्रभावी सेवाएँ दे रही है। इस अवसर पर मधुमती के सम्पादक ब्रजरतन जोशी ने पत्रिका में संकलित साहित्यिक रचनाओं की जानकारी दी।
डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू को गुरु गोरखनाथ सम्मान
उदयपुर, हिंदुस्तान एकेडमी, उ.प्र. प्रयागराज की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किए जाने वाले सम्मानों की घोषणा की गई। इसमें शिखर सममान गुरू गोरखनाथ सम्मान के लिए शहर के इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू को चयनित किया गया है। यह सम्मान डॉ. जुगनू को आदिकालीन साहित्य में अवदान के लिए दिया गया है। सम्मान के तहत उन्हें पाँच लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।
कंकरोली, राजसमन्द। प्रसिद्ध गजलकार शेख अब्दुल हमीद के नये गजल संग्रह अपनी तलाश में का लोकार्पण समारोह राजस्थान साहित्यकार परिषद कांकरोली द्वारा होटल स्वागत के सभा भवन में 7 मार्च रविवार को प्रातः दस बजे आयोजित हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात शाइर एवं साहित्यकार आबिद अदीब थे। विशिष्ट अतिथि के दायित्व का निर्वाह कवि एवं कथाकार माधव नागदा एवं लोकप्रिय गीतकार त्रिलोकी मोहन पुरोहित ने किया। समारोह के आरंभ में राधेश्याम सरावगी मसूदिया ने मंचासीन अतिथियों का माल्यार्पण तथा परिषद् के सदस्यों ने शाल ओढा कर सम्मानित किया। कार्यक्रम की शुरुआत जावेद शेख की गजल तथा वरिष्ठ साहित्यकार कमर मेवाडी के स्वागत उदबोधन से हुआ। मुख्य अतिथि आबिद अदीब साहब का यह कथन की शायर हमीद एक दर्दमन्द दिल रखते हैं और हर इन्सान के लिए दिल में मोहब्बत का ज*बा रखते हुए इन्सानियत की रविश पर आगे बढते हैं तभी तो शाइर की कलम से ऐसा लाजवाब अशआर प्रस्फुटित होता हैं- दिल किसी का दुखाया नहीं, गम किसी को दिया तो नहीं। मैंने माना की काँटा हूँ मैं, पर किसी के चुभा तो नहीं। विशिष्ट अतिथि माधव नागदा और त्रिलोकी मोहन पुरोहित का मानना था कि शैख अब्दुल हमीद ने जिन्दगी का सार तत्व निचौड कर रख दिया है। उनके अनुभवों की विविधता और अभिव्यक्ति की गहराई निस्सन्देह चौंकाने वाली है।
कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध कवि एवं कथाकार डॉ. नरेन्द्र निर्मल ने किया तथा आभार प्रदर्शन राजस्थान साहित्यकार परिषद् कांकरोली के अध्यक्ष कवि एवं डायरी लेखक नगेन्द्र कुमार मेहता ने ज्ञापित किया।
प्रस्तुति - कमर मेवाडी
रूपा सिंह को डॉ. सीताराम दीन स्मृति आलोचना सम्मान
प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, समालोचक और कबीर साहित्य के मर्मज्ञ डॉ. सीताराम दीनजी की स्मृति में दिया जानेवाला वर्ष 2020-21 का सम्मान सुप्रसिद्ध आलोचक, कथाकार तथा कवयित्री डॉ. रूपा सिंह को दिया जायेगा । तीन सदस्यीय जूरी ( हरिसुमन बिष्ट, श्रीप्रकाश मिश्र तथा जयप्रकाश मानस) ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि - डॉ. रूपा सिंह की रचनात्मक दृष्टि और सृष्टि दोनों ही - लक्षित-अलक्षित स्त्री-रचनाकारों के बहुवचनों के बीच भी अपनी पृथक आलोचनात्मक दिशा की ओर पाठकों को अभिप्रेरित करती है । वे समानता, मित्रत्व और स्वतंत्रता जैसे बुनियादी सरोकारों के प्रति जरूरी मानवीय प्रतिबद्धता से अनुप्राणित अपनी सृजनात्मकता को किसी आयातित पश्चिमी विचारों की कार्बन कॉपी की तरह नहीं, एक फैशनेबुल होड में भी नहीं - बल्कि भारतीय चिंतन पद्धतियों की अविरल, अर्जित, अविरल और सदा संभावित दक्षता का उत्खनन करते हुए, उसे भाषायी बहुलता के गौरव और सौंदर्य से विश्वसनीय तथा अनुकरणीय बनाती हैं ।
न्यास प्रमुख डॉ. मंगला रानी (पटना) ने बताया है कि उन्हें डॉ. सीताराम दीन - डॉ. उषा रानी सिंह स्मृति न्यास, पटना द्वारा सम्मान स्वरूप 5001/- की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, आदि प्रदान किए जाएँगे।
- मधुमती डेस्क
नहीं रहे शब्दशिल्पी नरेन्द्र कोहनी
अनेक अलंकरणों से अलंकृत हिंदी के यशस्वी साहित्यकार डॉ. नरेंद्र कोहली को क्रूर कोरोना ने हमसे सदा-सदा के लिए छीन लिया। वे कोरोना पॉजिटिव थे। उनकी हालत खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। कोहली की पहली कहानी 1960 में प्रकाशित हई थी। उनकी 92 पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी मृत्यु के समाचार के साथ ही साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई है।
राजस्थान की संस्कृति हमारा गौरव - डॉ. कल्ला
मधुमती के राजस्थान दिवस एवं फणीश्वरनाथ रेणु पर केन्द्रित विशेषांक का हुआ लोकार्पण
बीकानेर। कला, साहित्य तथा संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला ने राजस्थानी साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका मधुमती के मार्च अंक का विमोचन किया। यह अंक राजस्थान दिवस और प्रसिद्ध रचनाकार फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ पर केन्द्रित है। इस अवसर पर डॉ. कल्ला ने कहा कि अकादमी द्वारा पाठकों और लेखकों के लिए जल्दी ही मैसेजिंग सेवा प्रारंभ की जाएगी, इससे पाठकों तक पत्रिका पहुँचने की सूचना उन्हें एसएमएस के माध्यम से मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि कोरोना की प्रतिकूल परिस्थतियों में मधुमती ने पाठकों के बीच विशेष पहचान स्थापित की है तथा डिजिटल युगानुकूल में प्रभावी सेवाएँ दे रही है। इस अवसर पर मधुमती के सम्पादक ब्रजरतन जोशी ने पत्रिका में संकलित साहित्यिक रचनाओं की जानकारी दी।
डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू को गुरु गोरखनाथ सम्मान
उदयपुर, हिंदुस्तान एकेडमी, उ.प्र. प्रयागराज की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किए जाने वाले सम्मानों की घोषणा की गई। इसमें शिखर सममान गुरू गोरखनाथ सम्मान के लिए शहर के इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू को चयनित किया गया है। यह सम्मान डॉ. जुगनू को आदिकालीन साहित्य में अवदान के लिए दिया गया है। सम्मान के तहत उन्हें पाँच लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।