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लवली गोस्वामी की कविताएँ

लवली गोस्वामी
घाव

कोई घाव हमेशा घाव नहीं रहना चाहता.
वह मरहम लगाने वाले की स्मृति में
बदल जाना चाहता है.

अपनी जगह

बाज दफा, अपनी जगह बने रहने का
अनुशासन भी जरूरी है.

पूर्ण विराम की फेन्स तोडकर
शब्द अगर दूसरे वाक्यों में कूद पडते

तो सोचो, किताब और भगदड में
तुम कैसे भेद करते!

इल्म

तुम्हारे ठहाके देख मुझे इल्म हुआ,
खूब इस्तेमाल की हुई देह और
जमकर पढी गई किताब -
दोनों की खुशी एक-सी होती है.

एक डूबे हुए प्रेमी की सलाह

प्रेम में उतना डूबो,
जितना डूबती है
पानी में नाव की तली

ऐसे कि
पानी में बनता रहे रास्ता
और चलता रहे जीवन.

कुछ लोग कभी नहीं

खुशबुओं का महत्त्व केवल
तितलियों और भौरों के लिए है

चबाने से पहले
भैसों और बैलों की बिरादरी
कभी फूल नहीं सूँघती

कुछ लोग कभी नहीं जान पाते
तितलियों को, भौरों को,
खुशबुओं को, रंगों को,
रंगों की खुशबू को,
खुशबू के रंगों को.

l.k.goswami@gmail.com