विनोद पदरज की कविताएँ
विनोद पदरज
1. पंछीनामा
गिद्धों
मिटते मिटते भी साफ करते रहना पृथ्वी को
कौओं ,मेहमानों को टेरते रहना
गौरैयों
बेटियों की सुरत कराते रहना आँगन में आते रहना
मैनाओं
सुग्गे से बराबर की बजाना
चातको
जिद मत छोडना स्वाति बूँद की
चकवी चकवों मत मिलना रात में
सारसों,जीवन भर प्रेम निभाते रहना
कपोतों,अपनी सिधाई मत छोडना
टिटहरियों,कर्कशा कहलाना भले ही
पर प्रतिरोध से मुँह मत मोडना
तपती लूओं में काम कर रही हैं औरतें
कोयलों,उनके कानों में निरंतर रस घोलना
आदमियों ने खो दी है अपनी बाण
अब तुम्हीं रखना काण
2. अब हम जाएँंगे
यह एक समान्य वाक्य है
पर मृत्यु शय्या पर कोई कहे
फलां को बुलवा दो फलां से मिलवा दो
अब हमारा टाइम हो गया
अब हम जाएँगे
तो यह वाक्य पूरी निर्ममता से प्रगट होता है
कि सुनते हुए हम सिर घुमा कर आँसू छिपाते हैं
और फिर कहने वाला चला ही जाता है
वे चले गए
यह भी एक सामान्य वाक्य है
पर जो कभी कभी स्मृतियों में लौटते हैं
उनके संदर्भ में यह एक मर्मांतक वाक्य है
जैसे यह लिखते हुए हृदय विदीर्ण हो जाता है
कि हमारे साथ के वे भी चले गए
हमारे साथ के वे भी चले गए
कहते कहते पिता भी
तीन साल पहले हरियाली मावस को चले गए
3. अकेला आदमी
क्या अकेला आदमी
सब कुछ वैसे ही करता है जैसे
जब वह जोडे से था
क्या हर सुबह वह वैसे ही निकलता है
या कभी कभी घर में ही पडा रहता है गुमसुम
कि छोडो यार कौन जाए
क्या जीवन में उसकी वैसी ही दिलचस्पी होती है
क्या वह उतनी ही आतुरता से घर लौटता है
घर में भी क्या होता है
खुद ही द्वार खोलना होता है जेब में रखी चाबी से
खुद ही लाइट जलानी होती है
खुद की ही परछाई डोलती दिखती है दीवारों पर
खुद ही खुद से बात करनी होती है
और ऐसा हर रोज होता है
कभी कभी अकेला व्यक्ति सोचता है
कि किसी दिन मर गया तो
बहुत दिनो तक किसी को पता भी नहीं चलेगा
और घबरा जाता है
वह अपनी टेबल पर और तकिये के नीचे कुछ नाम और फोन नंबर रखता है
और किंवाड उढकाकर सोता है
बिना कुण्डी लगाए
4. खुशी की खबर इंतजार करती है
गर कभी फोन आए
सुबह सुबह पाँच बजे
तो जी धक से रह जाता है
लगता है किसी करीबी की मृत्यु की खबर है
और यह सच होता है
कि अपने दुख के साथ अकेला वह
रात भर प्रतीक्षा करता है पाँच बजने की
जाग होने की
और पाँच बजते ही फोन मिलाता है
ताकि बता सके कि संस्कार यहाँ और इतने बजे है
आप आ जाना
आफ आने से हिम्मत रहेगी
आप बडे हैं परिवार के
और यदि फोन आए रात के दो बजे
तो निश्चय ही यह हृदय विदारक समाचार होता है
अपने ही घर का
जिसे देने की प्रतीक्षा नहीं की जा सकती सुबह तक
यूं तो दुख की खबरें दिन में भी आ सकती है
घटनाओं का कोई साइत नहीं
पर दिन भर हम फोन के इतने आदी होते हैं
कि चौंकते नहीं हडबडाते नहीं घबराते नहीं
और यह सोचते भी नहीं कि कोई बुरी खबर होगी
और यह भी कि कभी कभार
खुशी की खबर भी आती है
पर असमय फोन का मतलब
निश्चय ही बुरी खबर
अच्छी खबर कैसी ही हो
मसलन रात में जन्मे बच्चे की
असमय फोन नहीं किया जाता
आराम से दिन उगने सूरज निकलने का इंतजार किया जाता है
***
सम्पर्क -3/137, हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी,
सवाईमाधोपुर - 322081
मो. 9799369958
गिद्धों
मिटते मिटते भी साफ करते रहना पृथ्वी को
कौओं ,मेहमानों को टेरते रहना
गौरैयों
बेटियों की सुरत कराते रहना आँगन में आते रहना
मैनाओं
सुग्गे से बराबर की बजाना
चातको
जिद मत छोडना स्वाति बूँद की
चकवी चकवों मत मिलना रात में
सारसों,जीवन भर प्रेम निभाते रहना
कपोतों,अपनी सिधाई मत छोडना
टिटहरियों,कर्कशा कहलाना भले ही
पर प्रतिरोध से मुँह मत मोडना
तपती लूओं में काम कर रही हैं औरतें
कोयलों,उनके कानों में निरंतर रस घोलना
आदमियों ने खो दी है अपनी बाण
अब तुम्हीं रखना काण
2. अब हम जाएँंगे
यह एक समान्य वाक्य है
पर मृत्यु शय्या पर कोई कहे
फलां को बुलवा दो फलां से मिलवा दो
अब हमारा टाइम हो गया
अब हम जाएँगे
तो यह वाक्य पूरी निर्ममता से प्रगट होता है
कि सुनते हुए हम सिर घुमा कर आँसू छिपाते हैं
और फिर कहने वाला चला ही जाता है
वे चले गए
यह भी एक सामान्य वाक्य है
पर जो कभी कभी स्मृतियों में लौटते हैं
उनके संदर्भ में यह एक मर्मांतक वाक्य है
जैसे यह लिखते हुए हृदय विदीर्ण हो जाता है
कि हमारे साथ के वे भी चले गए
हमारे साथ के वे भी चले गए
कहते कहते पिता भी
तीन साल पहले हरियाली मावस को चले गए
3. अकेला आदमी
क्या अकेला आदमी
सब कुछ वैसे ही करता है जैसे
जब वह जोडे से था
क्या हर सुबह वह वैसे ही निकलता है
या कभी कभी घर में ही पडा रहता है गुमसुम
कि छोडो यार कौन जाए
क्या जीवन में उसकी वैसी ही दिलचस्पी होती है
क्या वह उतनी ही आतुरता से घर लौटता है
घर में भी क्या होता है
खुद ही द्वार खोलना होता है जेब में रखी चाबी से
खुद ही लाइट जलानी होती है
खुद की ही परछाई डोलती दिखती है दीवारों पर
खुद ही खुद से बात करनी होती है
और ऐसा हर रोज होता है
कभी कभी अकेला व्यक्ति सोचता है
कि किसी दिन मर गया तो
बहुत दिनो तक किसी को पता भी नहीं चलेगा
और घबरा जाता है
वह अपनी टेबल पर और तकिये के नीचे कुछ नाम और फोन नंबर रखता है
और किंवाड उढकाकर सोता है
बिना कुण्डी लगाए
4. खुशी की खबर इंतजार करती है
गर कभी फोन आए
सुबह सुबह पाँच बजे
तो जी धक से रह जाता है
लगता है किसी करीबी की मृत्यु की खबर है
और यह सच होता है
कि अपने दुख के साथ अकेला वह
रात भर प्रतीक्षा करता है पाँच बजने की
जाग होने की
और पाँच बजते ही फोन मिलाता है
ताकि बता सके कि संस्कार यहाँ और इतने बजे है
आप आ जाना
आफ आने से हिम्मत रहेगी
आप बडे हैं परिवार के
और यदि फोन आए रात के दो बजे
तो निश्चय ही यह हृदय विदारक समाचार होता है
अपने ही घर का
जिसे देने की प्रतीक्षा नहीं की जा सकती सुबह तक
यूं तो दुख की खबरें दिन में भी आ सकती है
घटनाओं का कोई साइत नहीं
पर दिन भर हम फोन के इतने आदी होते हैं
कि चौंकते नहीं हडबडाते नहीं घबराते नहीं
और यह सोचते भी नहीं कि कोई बुरी खबर होगी
और यह भी कि कभी कभार
खुशी की खबर भी आती है
पर असमय फोन का मतलब
निश्चय ही बुरी खबर
अच्छी खबर कैसी ही हो
मसलन रात में जन्मे बच्चे की
असमय फोन नहीं किया जाता
आराम से दिन उगने सूरज निकलने का इंतजार किया जाता है
***
सम्पर्क -3/137, हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी,
सवाईमाधोपुर - 322081
मो. 9799369958