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बूढा आदमी और समुद्र - अर्नेस्ट हेमिंग्वे

सुशांत सुप्रिय
वह एक बूढा आदमी था जो अकेले ही एक नाव में खाडी के प्रवाह में मछलियाँ पकडता था । पिछले चौरासी दिनों से वह एक भी मछली नहीं पकड पाया था । पहले चालीस दिनों तक एक लडका उसके साथ था । लेकिन जब बूढा चालीस दिनों तक एक भी मछली नहीं पकड सका तो लडके के माता-पिता ने उसे समझाया कि बूढा बेहद बदकस्मित था । इसलिए वह लडका अपने माता-पिता के आदेश पर किसी दूसरे मछुआरे की नाव में चला गया जहाँ उन्होंने पहले हफ्ते में तीन अच्छी मछलियाँ पकडीं । लडका यह देख कर उदास हो जाता था कि बूढे मछुआरे की नाव हमेशा खाली होती थी और वह प्रतिदिन खाली हाथ लौटता था । वह रोज तट पर जाकर मछली पकडने के सारे सामान को नाव से उतार कर बूढे के मकान तक ले जाने में उसकी मदद करता था। वह प्रतिदिन मछली पकडने का काँटा, काँटेदार भाला, हारपून और मस्तूल के गिर्द लिपटी पाल को नाव से मछुआरे के मकान तक ले कर आता था । पाल में पाबंद लगे हुए थे और वह स्थायी हार के झंडे जैसा लगता था।
बूढा आदमी पतला-दुबला था। उसकी गर्दन के पीछे गहरी झुर्रियाँ थीं । उसके गाल पर त्वचा के कैंसर के भूरे दाग-धब्बे मौजूद थे, जो सूर्य की परोपकारी किरणों के उष्णकटिबंधीय समुद्र में प्रतिबिम्बित होने के कारण बने थे। वे दाग-धब्बे उसके चेहरे के बगल में नीचे तक जाते थे । मजबूत डोरियों में फँसी बडी मछलियों को पकडने के लिए किए जाने वाले संघर्ष के गहरे निशान उसके हाथों में मौजूद थे। लेकिन ये सभी निशान पुराने थे। वे बिना मछलियों वाले रेगिस्तान में होने वाले कटाव जितने पुराने थे ।
बूढे की आँखों को छोड कर उससे संबंधित सभी चीजें बहुत पुरानी थीं । लेकिन उसकी आँखों का रंग समुद्र जैसा था और वे प्रसन्न और अपराजित आँखें थीं ।
सैंटियागो, समुद्र के किनारे से नाव को ऊपर खींचते हुए लडके ने बूढे से कहा, मैं आफ साथ दोबारा जा सकता हूँ । इस बीच हमने कुछ रुपए-पैसे कमा लिए हैं।
बूढे मछुआरे ने लडके को मछलियाँ पकडना सिखाया था। इसलिए लडका उसे चाहता था ।
नहीं, तुम किसी किस्मत वाले की नाव में हो । उन्हीं के साथ रहो।
पर आप यह भी तो याद कीजिए कि एक बार आपको सतासी दिनों तक कोई मछली नहीं मिली । लेकिन उसके बाद के तीन हफ्तों में हमने हर रोज बडी-बडी मछलियाँ पकडी थीं।
मुझे याद है, बूढे ने कहा। मैं जानता हूँ, तुम मुझे छोड कर नहीं गए थे क्योंकि तुम्हें मुझ पर भरोसा था।
पिताजी ने मुझे वापस बुला लिया। मुझे उनकी बात माननी चाहिए।
मैं जानता हूँ । यह एक सामान्य बात है।
पिताजी को आप पर *यादा भरोसा नहीं।
नहीं, बूढे ने कहा, लेकिन हमें खुद पर भरोसा है । है कि नहीं?
हाँ, लडका बोला। क्या मैं चबूतरे पर आपको एक बीयर दे सकता हूँ ? उसके बाद हम सारा सामान लेकर घर चले जाएँगे।
क्यों नहीं, बूढे ने कहा। आखिर हम दोनों मछुआरे हैं।
वे दोनों चबूतरे पर बैठे रहे और कई अन्य मछुआरे बूढे का मजाक उडाते रहे । पर बूढा नाराज नहीं हुआ। अन्य बूढे मछुआरों ने इस बूढे की ओर देखा और वे उदास हो गए , पर उन्होंने अपनी उदासी जाहिर नहीं की । वे बडी शिष्टता से धारा, गहराई और अच्छे मौसम के बारे में बातें करते रहे । वे युवावस्था के अपने अनुभवों के बारे में भी बताते रहे। उस दिन के सफल मछुआरे पहले ही वहाँ आ चुके थे। उन्होंने अपनी मार्लिन मछलियों को काट लिया था और लकडी के दो तख्तों पर डाल कर वे उन कटी हुई मछलियों को ले जा रहे थे। उन तख्तों को दो लोगों ने दोनों ओर से पकडा हुआ था । वे खुद लडखडा रहे थे। वे इन मछलियों को मछली मंडी में ले जा रहे थे। वहाँ वातानुकूलित ट्रक आता था, और हवाना के बाजार में बेचने के लिए इन मछलियों को ले जाता था। जिन मछुआरों ने शार्क मछलियाँ पकडी थीं वे उन्हें शार्क मछलियाँ बेचने वाली दूसरी मंडी में ले जा रहे थे जो कि खाडी के बगल में स्थित थी। वहाँ उन शार्क मछलियों को नापा-तोला जाता और उनके कलेजे निकाल लिए जाते। उनके मीनपक्ष काट दिए जाते। उनकी चमडी उतार ली जाती। और उनके माँस को नमक लगा कर सुखाने के लिए छोटे-छोटे टुकडों में काट लिया जाता।
जब हवा पूर्व दिशा से बह रही होती तो शार्क-फैक्ट्री की तेज गंध बंदरगाह की ओर आती। लेकिन आज वह गंध बेहद हल्की थी क्योंकि आज हवा उत्तर दिशा की ओर मुड गई थी। फिर हवा चलनी लगभग बंद हो गई। वहाँ मौसम खुशनुमा और धुपहला था ।
सैंटियागो, लडका बोला ।
हाँ, बूढे ने कहा। वह बीयर का गिलास पकड कर अपने अतीत के दिनों के बारे में सोच रहा था।
क्या मैं जा कर आफ लिए कल के लिए सारडाइन मछलियाँ ला सकता हूँ ?
नहीं, तुम जाकर बेसबॉल खेलो। मैं अब भी नाव खे सकता हूँ और रोगेलो पानी में जाल डाल देगा।
मैं जाना चाहता हूँ। अगर मैं आपकी नाव में आफ साथ मछलियाँ पकडने नहीं जा सकता, तो मैं आफ किसी और काम आना चाहता हूँ।
तुमने मुझे पहले ही बीयर ला कर दे दी है, बूढे आदमी ने कहा। अब तुम लगभग वयस्क हो गए हो।
तब मैं कितने साल का था जब आप मुझे पहली बार अपनी नाव पर ले कर समुद्र में गए थे?
तब तुम केवल पाँच साल के थे । तुम लगभग मारे जाते जब मैंने एक बडी जीवित मछली को नाव पर खींच लिया था और उस मछली ने पूरी नाव को तहस-नहस कर दिया था । क्या तुम्हें वह घटना याद है?
हाँ, मुझे मछली की बडी पूँछ की उठा-पटक और नाव के टूट जाने की घटना याद है । आपने पीट-पीट कर उस मछली को मार डाला था । मुझे उठा कर आपने नाव के अगले हिस्से में डाल दिया था, जहाँ मजबूत डोरियाँ पडी हुई थीं। वह जगह गीली थीं। मुझे आपका उस बडी मछली को लगातार पीटते रहना याद है। पूरी नाव बेतहाशा काँप रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी बडे पेड को काटा जा रहा हो। फिर खून की गंध चारो ओर फैल गई थी।
क्या तुम्हें वाकई वह सब याद है या तुम सुनी-सुनाई बात बता रहे हो?
मुझे आफ साथ पहली बार जाने के समय की सारी बातें याद हैं।
यदि तुम मेरे बेटे होते तो मैं तुम्हें लेकर जुआ खेलने जाता। लेकिन तुम्हारे माता-पिता कोई और हैं। और तुम एक किस्मत के धनी मछुआरे की नाव में समुद्र में जाते हो।
क्या मैं आफ लिए सारडाइन मछलियाँ ला सकता हूँ ? मैं आफ लिए चारा लगाने के लिए कीडे भी ला सकता हूँ।
अभी मेरे पास वे बचे हुए हैं। मैंने उन्हें एक बक्से में नमक डाल कर रखा हुआ है।
मैं चारे का और सामान ले आऊँ ?
पहले से ही काफी सामान पडा है। बूढे ने कहा। उसकी उम्मीद और उसके आत्मविश्वास ने उसका साथ कभी नहीं छोडा था। जैसे हवा चलनी शुरू हो जाती थी, वैसे ही बूढे की उम्मीद और उसका आत्मविश्वास भी तरो-ताजा हो जाते थे ।
चारे के दो छोटे डिब्बे फिर भी ले आता हूँ। लडके ने कहा।
ठीक है, दो ले आओ। बूढा आदमी मान गया। तुमने उन्हें चुराया तो नहीं?
मैं चुरा सकता था, लडके ने कहा। लेकिन मैंने ये खरीदे हैं।
शुक्रिया, बूढा बोला। वह बहुत सीधा था और वह अपनी विनम्रता के बारे में *यादा नहीं सोचता था। पर उसे पता चल जाता था कि वह कब विनम्र हो गया है। वह जानता था कि यह बात लज्जाजनक नहीं थी, और यह भी कि इससे आत्मगौरव की कमी नहीं होती थी।
इस प्रवाह की वजह से कल एक अच्छा दिन होगा, उसने कहा।
आप कहाँ जा रहे हैं ? लडके ने पूछा।
समुद्र में बहुत दूर । हवा की दिशा बदलने पर भी मैं लौट नहीं सकूँगा । कल पौ फटने से पहले मैं समुद्र में मछलियाँ पकडने के लिए निकल जाऊँगा।
मैं कोशिश करूँगा कि मैं जिस नाव पर जाता हूँ, वह मछुआरा भी आफ साथ समुद्र में दूर तक जाए, लडके ने कहा। तब यदि आपने कोई बडी मछली पकडी तो हम आपकी मदद करने के लिए आफ साथ होंगे।
तुम्हारी नाव का मालिक समुद्र में *यादा दूर तक जा कर मछलियाँ नहीं पकडना चाहता है।
नहीं, लडके ने कहा। लेकिन मैं कोई उपाय ढूँढ लूँगा। और उसे डाल्फिन के पीछे दूर समुद्र में ले जाऊँगा।
क्या उसे आँखों से कम दिखता है?
वह तो लगभग अंधा है।
यह अजीब बात है, बूढे ने कहा। वह कभी कछुए पकडने नहीं गया। इससे आँखें खराब हो जाती हैं।
लेकिन आप तो मच्छरों से भरे तट पर बरसों तक कछुए पकडने के लिए जाते रहे। फिर भी आपकी आँखें ठीक हैं।
मैं एक अजीब बूढा हूँ।
लेकिन अब आप स्वस्थ हैं और आपमें एक बहुत बडी मछली पकडने का दम मौजूद है।
हाँ, मुझे ऐसा लगता है। इसके अलावा मैं बहुत सारी चालें और दाँव जानता हूँ।
यह सारा सामान घर ले चलते हैं। लडका बोला। तब मैं फेंकने वाला जाल ले कर सारडाइन मछलियाँ पकडने जा सकूँगा।
उन्होंने नाव से सारा सामान उठा लिया। बूढे आदमी ने मस्तूल को अपने कंधों पर रख लिया और लडका लकडी की नाव खींचते हुए मजबूत भूरी डोरियाँ, बरछा, हारपून और डंडा ले कर चल पडा। चारे का डिब्बा नाव की दुम्बाल पर पडा था। गदा जैसी भारी लकडी का डंडा भी वहीं पडा था जिससे नाव पर खींची गई बडी मछलियों को पीट-पीट कर वश में लाया जाता था । बूढे को पता था कि उसकी चीजों कोई नहीं चुराएगा । लेकिन फिर भी भारी डोरियों और पाल को घर ले जाना ठीक था क्योंकि वे खुले आकाश तले ओस में खराब हो सकती थीं । हालांकि उसे स्थानीय मछुआरों पर पूरा भरोसा था कि वे उसका कोई सामान नहीं चुराएँगे, किंतु बूढे ने सोचा कि काँटेदार बरछा और हारपून नाव में ही छोड कर किसी को चोरी करने का लालच क्यों दिया जाए ...
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